karak kise kahte hai I karak hindi grammer

karak kise kahte hai I karak ke prakar i karak

दोस्तो आज हमलोग कारक के बारे मे पढ़ेगे। कारक किसे कहते हैं? (karak kise kahte hai)इसके कितने प्रकार होते हैं इत्यादि। अगर आप कारक के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस लेख को ध्यान पूर्वक पढ़े। जहा पर कारक को उदाहरण के साथ समझाया गया है।

कारक किसे कहते है ?(karak kise kahte hai)

संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जो क्रिया की उत्पत्ति में सहायक होता हो या जो किसी शब्द का क्रिया से संबंध बढ़ाए , कारक(karak ) कहलाता है।

उदाहरण _
यह फिल्म में कई बार देखा हूं।
वह जाने से पहले भोजन किया है।
भारत विश्वकप जीता।

वाक्य में कारकीय संबंधों को बताने वाले चिन्हों को कारक चिन्ह अथवा परसर्ग कहते है। हिंदी वाक्य में कही कही कारकीय चिन्ह लुप्त रहते है।
जैसे_
कुत्ता भोक रहा है।
मोहन पुस्तक पढ़ता है।

हिंदी भाषा में कारकों की संख्या आठ होती है।

कारक परसर्ग
• कर्ता कारक ने ( से, को , द्वारा)
• कर्म कारक को
• करण कारक से , द्वारा ( साधन या माध्यम)
• सम्प्रदान कारक को , के लिए
• अपादान कारक से ( अलग होने का बोध)
• संबंध कारक का,के, की , ना,ने, नी, रा, रे, री
• अधिकरण कारक में , पर
• सम्बोधन कारक हे, हो ,अरे , अजी

कर्ता कारक


संज्ञा या सर्वनाम की वह अवस्था जो क्रिया करता है यानी क्रिया का सम्पादन करता है, कर्ता कारक कहते है। इसका परसर्ग ने है।

जैसे_
धोबी कपड़ा धोता है।

इस वाक्य में कपड़ा धोना क्रिया है। जिसका सम्पादन धोबी है। यानी कर्ता कारक धोबी है।

कर्ता के ने चिन्ह का प्रयोग

सकर्मक क्रिया रहने पर सामान्य भूत , आसन्न भूत , संदिग्ध भूत में करता के आगे “ने” चिन्ह आता है। जैसे_
मैने तो आपको तभी बताया था।
मैने उसे बार बार समझाया।
तुमने इससे कुछ अलग सोचा।

बोलना ,समझना , बकना , सोचना , पुकारना क्रिया के कर्ता के साथ “ने” चिन्ह विकल्प से आता है। जैसे_
हम तुम्हारी बात नही समझे।
उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला।
वह झूठ बोला।

नहाना , थूकना, छिकना ओर खसना ये अकर्मक क्रियाए है। फिर भी अपने साथ कर्ता को “ने” चिन्ह लाने के लिए बाध्य करती है। जैसे_
आज आपने नहाया क्यों नहीं।
मैने सर्दी के कारण छिका है।

मुस्करा देना , हस देना, रो देना इन क्रियाओ के कर्ता “ने” चिन्ह निश्चित रूप से लेट है। जैसे_
बिजली छिटक के गिर पड़ी और सारा कफन जला दिया।

karak kise kahte hai
karak kise kahte hai

कर्म कारक

संज्ञा या सर्वनाम की वह अवस्था जो क्रिया से प्रभावित होती है। या जिस पर क्रिया का फल पड़े, कर्म कारक कहते है।
महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया।
इस वाक्य में भारत छोड़ो आन्दोलन कर्म है क्योंकि चलाना क्रिया से प्रभावित है। कर्म कारक का चिन्ह “को” है।

क्रिया पर कर्म का प्रभाव

यदि वाक्य में कर्ता और कर्म दोनो चिन्ह युक्त हो तो क्रिया सदैव पुल्लिंग एकवचन होती है। जैसे_
चरवाहों ने गाय को चराया होगा।

क्रिया की अनिवार्यता प्रकट करने के लिए कर्ता में “ने” की जगह “को” लगाया जाता है। और क्रिया कर्म के लिंग वचन के अनुसार होती है।जैसे_
राजू को किताबे खरीदना होगा।

अशक्ति प्रकट करने के लिए कर्ता में “से” चिन्ह लगाया जाता है। और कर्म को चिन्ह रहित । ऐसी स्थिति में क्रिया कर्म के लिंग वचन के अनुसार होती है।

यदि कर्ता और पहला कर्म चिन्ह युक्त हो और दूसरा कर्म चिन्ह रहित रहे तो क्रिया दूसरे कर्म के अनुसार होती है।
जैसे_ पिता ने पुत्री को बधाई दी।

करण कारक

संज्ञा या सर्वनाम की वह अवस्था जिसके माध्यम से या जिस माध्यम से क्रिया का सम्पादन होता है। करण कारक कहते है।

करण कारक साधन या माध्यम का काम करता है। इसका चिन्ह “से” और “द्वारा” है।

कभी कभी करण चिन्ह लुप्त भी रहते है। इसलिए क्रिया के साधन को खोजना चाहिए।
जैसे _ किससे या किसके द्वारा कार्य संपन्न हुआ।

उदाहरण
आज भी संसार में करोड़ों लोग भूखे मर रहे है।

क्रिया की रीति या प्रकार बताने के लिए भी “से” चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे _ धीरे से बोलो दीवारों के भी कान होते है।

सम्प्रदान कारक

जिसके लिए या जिस उद्देश्य के लिए क्रिया का सम्पादन होता है। , सम्प्रदान कारक कहते है।

उदाहरण
मंदिरों में भिखारियों के लिए अनाज और कपड़े बाटे गए।

इस वाक्य में भिखारी सम्प्रदान कारक है। क्योंकि अनाज और कपड़े बाटने का काम उनके लिए हुआ।

सम्प्रदान कारक का प्रयोग

जब कोई वस्तु किसी को हमेशा के लिए दान दी जाती हैं तब वहा “को” का प्रयोग किया जाता है।

प्रणाम, नमस्कार आदि शब्दो के लिए भी सम्प्रदान कारक का प्रयोग किया जाता है।

व्यक्ति वाचक , अधिकारवाचक में “को का प्रयोग किया जाता है। जैसे_
अपने परिवार को बुलाओ।

समय ,स्थान, आवश्यक, नमस्कार , धिक्कार , धन्यवाद, अवस्था आदि के प्रयोग में “को” का प्रयोग किया जाता है।

आना, पड़ना ,मिलना, सूझना,चढ़ना,डरना, कहना,पूछना,लगाना आदि क्रियाओं के योग में “को” शब्द का प्रयोग किया जाता है।

अपादान कारक

वाक्य में जिस शब्द से किसी व्यक्ति , वस्तु या स्थान की पृथकता अथवा तुलना का बोध होता है। वहा अपादान कारक होता है।

उदाहरण
पेड़ से पत्ते गिरते है।
मेरा घर शहर से दूर है।

इस वाक्य में अलग होने की क्रिया का बोध होता है। अपादान कारक का चिन्ह “से” है। जिससे अलग होने का बोध होता है।

“से” का प्रयोग

• अनुक्त और प्रेरक कर्ता कारक में “से” का प्रयोग होता है।
• क्रिया करने की रीति या प्रकार बताने में “से” का प्रयोग होता है।
• कारण, द्वारा,विकार, निषेध,चिन्ह आदि में “से” का प्रयोग किया जाता है।
• पूछना, जांचना,पकाना,कहना आदि क्रियाओं में गौन कर्म में “से” का प्रयोग किया जाता है।
• स्थान और समय की दूरी बताने में “से” का प्रयोग किया जाता है।
• क्रियाविशेषण के साथ और पूर्व कालिक क्रिया के अर्थ में “से” का प्रयोग किया जाता है।

संबंध कारक

वाक्य में जिस पद से किसी वस्तु, व्यक्ति या पदार्थ का दूसरे वस्तु, व्यक्ति या पदार्थ से संबंध प्रकट हो, संबंध कारक कहते है।

उदाहरण_
मोहन का भाई सोहन है।
घोटतकच्छ भीम का पुत्र था।

संबंध कारक का चिन्ह “का , के, की ” है। जब सर्वनाम पर संबंध कारक का प्रभाव पड़ता है, तब ना, ने, नी और रा, रे, रि हो जाता है। जैसे_
अपने दही को कोन खट्टा कहता है?

“का, के, की” का प्रयोग

• समय,परिणाम,व्यक्ति,दर,बदला,केवल,स्थान, मूल्य,शक्ति,योग्यता, साथ, कारण, आधार , भाव, लक्षण, आदि के लिए संबंध कारक का बोध होता है।
• समीप,आगे, पीछे,ऊपर,नीचे,बाहर, बाए, दाएं, योग्य, तुल्य आदि शब्दो के योग्य में संबंध के चिन्ह आते है।
• कभी कभी गौण कर्म में भी संबंध चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

अधिकरण कारक

वाक्य में क्रिया का आधार , आश्रय, समय या शर्त” अधिकरण” कहलाता है।

उदाहरण_
मगरमच्छ जल में रहता है।
बंदर पेड़ पर रहता है।
मैं जल्द ही आपके दफ्तर पहुंच रहा हूं।

“मे और पर” का प्रयोग

• भीतर,भेद, मूल्य,विरोध,अवस्था,कारण,निर्धारण के अर्थ में अधिकरण चिन्ह का प्रयोग होता है।
• दूरी,ऊपर,अनुसार, संलग्न और अंतर के अर्थों में और वार्तालाप के प्रसंग में “पर” चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे_
सड़क पर बड़ा गड्ढा है।
वह सिनेमा में आंखे गाड़े है।

संबोधन कारक

जिस संज्ञा पद से किसी को पुकारने , सावधान करने या संबोधन करने का बोध होता है, संबोधन कारक कहते हैं।

संबोधन कारक में सिर्फ संज्ञा पदो का संबोधन होता है।
संबोधन कारक के चिन्ह “हे, हो, अरे, अजी है। सिर्फ संबोधन कारक का चिन्ह संबोधित संज्ञा के पहले आता है।

जैसे_
हे भगवान! उसकी रक्षा करना।
बच्चो ! बिजली की तारो को मत छूना ।