क्या आपको पता है कि
• कुंभ मेला क्यों आयोजित किया जाता है?
• कुंभ मेला कहा पर आयोजित किया जाता है?
• कुंभ १२ वर्षों बाद क्यों मनाया जाता हैं?
अगर आप भी इछुक है इन प्रश्नो का उत्तर जानने के लिए तो आप सही जगह पर आये है चलिए कुम्भ मेले से सम्भंदित कुछ रोचक तथ्य जानते है !
कुंभ मेला
कुंभ पर्व हिन्दू धर्म का एक महत्तपूर्ण पर्व है। उत्तर प्रदेश के हरिद्वार, उज्जैन,नासिक और प्रयागराज में मनाया जाता है।
जिसमे दुनिया भर से करोड़ों कि संख्या में श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल पर स्नान करने आते है। यह पर्व प्रति बारह वर्ष में 48 दिनों के लिए मनाया जाता है।
इस कुंभ मेले का प्रमाण भारत के ऋग्वेद और कई प्राचीन ग्रंथों में भी इस मेले का जिक्र किया गया है यह पर्व हजारों वर्षों से चला आ रहा है। इसकी प्रमाणता बौद्ध लेखो , यूनानी दूत और चीनी यात्री हान संग के लेखों और कई लेखों से प्राप्त होता है।
कुंभ पर्व क्यों मनाया जाता हैं?
ग्रंथों ओर लेखों के अनुसार इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि कुंभ मे स्नान करने से लोगो के पाप धुल जाते है। और आत्मा को स्वर्ग कि प्राप्ति सहजता से है जाती है।
कहा ओर कब मनाया जाता है?
यह मेला उत्तर प्रदेश के नाशिक में गोदावरी नदी के किनारे, उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे , हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे प्रयाग मे गंगा , यमुनाऔर सरस्वती नदी के संगम स्थल पर मनाया जाता है।
कुंभ मेला प्रति बारह वर्ष बाद मनाया जाता है।
कुंभ के प्रकार
भारत में कुल पांच प्रकार के कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
• महाकुंभ मेला महाकुंभ मेला प्रति 144 वर्ष के बाद या पूर्ण 12 वर्षों के बाद आयोजित किया जाता है पिछले महाकुंभ मेले का आयोजन वर्ष 2013 मे किया गया था फिर अगले 144वर्षों बाद किया जाएगा। महाकुंभ मेले का आयोजन सिर्फ प्रयागराज (इलाहाबाद) मे गंगा,यमुना और सरस्वती नदी के संगम स्थल पर मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में महाकुंभ मेले कि अधिक मान्यता है। मानना है कि प्रत्यके व्यक्ति को अपने जीवन काल में गंगा नदी के पवित्र जल में अवश्य स्नान करना चाहिए।
• पूर्ण कुंभ मेला पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन प्रति 12 वर्ष बाद किया जाता है। पूर्ण मेले कि स्थान का चयन ज्योतिष विशेषज्ञों द्वारा ग्रह ओर नछत्र को दखते हुए किया जाता है।
इस मेले में करोड़ों कि संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते है। पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन पिछले बार वर्ष 2013 मे किया गया था।
• अर्ध कुंभ मेला अर्ध कुंभ मेले का आयोजन पूर्ण कुंभ मेले के ठीक बीच में यानी 6 वर्ष बाद मनाया जाता है। अर्ध सब्द का अर्थ आधा होता है इसलिए इस मेले को अर्ध कुंभ के नाम से भी जाना जाता है। पिछले अर्ध कुंभ मेले का आयोजन वर्ष 2016 मे किया गया था।
• कुंभ मेला कुंभ मेले का आयोजन प्रति तीन वर्ष के अंतर में मनाया जाता है। इस मेले कि विभिन्न चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है नासिक,प्रयागराज, उज्जैन और हरिद्वार ।
• माघ कुंभ मेला माघ कुंभ मेला प्रति वर्ष माघ महीने मे प्रयागराज मे गंगा,यमुना और सरस्वती नदी के संगम स्थल पर आयोजित किया जाता है।
कुंभ मेले का इतिहास
भारत में कुम्भ मेले को क्यों आयोजित किया जाता है? _
इसका कोई स्पष्ट सबूत नहीं है। हालाकि कुछ पौराणिक कथाएं ओर मान्यताएं है।
माना जाता है कि जब देवता ओर दानव मिल कर समुन्द्र मंथन कर रहे थे, तो समुन्द्र मंथन से अमृत उत्पन्न हुई थी। जिसे प्राप्त करने के लिए देव और दानव के बीच युद्ध हुआ था। और युद्ध के दौरान अमृत कि कुछ बूंदे नासिक,प्रयागराज,उज्जैन ओर हरिद्वार मे गिरी थी। तब से इस स्थान को विशेष शक्तिओ का स्थान मानते है।
खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, वृहस्पति को सूर्य का एक चक्कर लगाने मे १२ वर्ष का समय लगता है जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को “कुम्भ स्नान-योग” कहते हैं
और कुछ मान्यता है कि यहां स्नान करने से लोगो को स्वर्ग कि प्राप्ति होती है। और यह भी मानना है कि देव ओर दानव के बीच कि यह लडाई 12 दिन ओर 12 रात तक चली थी । और स्वर्ग का 1 दिन ओर 1 रात धरती पर 1 वर्ष के बराबर होता है इसलिए पूर्ण कुंभ मेला 12 वर्ष के अंतर में मनाया जाता हैं।
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और अधीक जानकारी के लिए यहां पढे _ Wikipedia