दोस्तो आज के इस लेख में आप पढ़ेंगे Mera Priya tyohar निबंध के बारे में। भारतीय पर्व और त्यौहार भारतीय सभ्यता और संस्कृति के दर्पण है। भारत तो त्यौहारो का देश है। यहां हर दिन कोई न कोई त्यौहार है, मेला है। भारत में होली , रक्षाबंधन , दशहरा और दीपावली चार प्रमुख त्यौहार है जो बहुत ही उमंग और उल्लास के साथ मनाए जाते है।
होली मेरा प्रिय त्यौहार
सबका अपना अपना प्रिय त्यौहार होता है। मेरा प्रिय त्यौहार होली है। होली पर्व भारत में बहुत ही आनन्द और उल्लास के साथ मनाया जाता है । होली नाचने गाने , हंसी ठिठौली , ओर मौज मस्ती का त्योहार है। होली पर्व ईर्षा द्वेष को भूलकर आपस में खुशी के साथ मिलने का त्यौहार है। होली पर्व मे लोग बड़े ही प्रेम भाव से एक दूसरे को रंग लगाते है, गले मिलते है। सभी के घरों में मीठे मीठे पकवान बनते है। इस पर्व मे बच्चों की खुशी देखने को मिलती है। बच्चे सुबह से ही पिचकारियों में रंग भर कर सभी के ऊपर छिड़कते रहते है। बच्चो की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है। इस दिन बड़े भी अबीर गुलाल से लिपटे रहते है जैसे मानो ये भी बच्चे बन गए हो।
समाज में प्रचलित कथाएं
होली पर्व प्रह्लाद और होलिका की कथा से जुड़ी हुई है। प्रह्लाद के पिता हिरण्य कश्यप नास्तिक थे। वे नही चाहते थे कि उनके राज्य में कोई ईश्वर की पूजा करे, किंतु उसका पुत्र प्रह्लाद ही ईश्वर भक्त था। अनेक कष्ट और यातनाएं सहने के बाद भी जब उसने ईश्वर भक्ति नही छोड़ी , तब उसके पिता ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने को कहा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नही जलेगी। अतः होलिका प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठ गई। लेकिन परिणाम उल्टा हुआ। होलिका आग में जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गया। इसी घटना की स्मृति में होली के पहले होलिका दहन की जाती है। होलिका दहन के दिन लोग लकड़ियां इकट्ठा करते है। होली जलाने से पूर्व स्त्रियां लकड़ी के ढेर को उपलो का हार पहनाती है , उसकी पूजा करती है और रात्रि को उसे अग्नि की भेट कर देती है।

होली का खेल
होली पर्व बहुत ही आनन्द , हर्ष उल्लास , और खुशी से मनाया जाता है। अबीर गुलाल लगाना , एक दूसरे को काली पीली रंग में रंगना , रंग भरी बाल्टी को एक दूसरे पर फेकने का आनंद ही अलग होती है। ये रंग भरी होली जीवन की सजीवता को प्रकट करती है। होली पर्व में छोटे बड़े , नर नारी सभी होली की रंगो में रंगे होते है। होली के त्यौहार में छोटे बड़ो के पैर में गुलाल डाल कर आशीर्वाद लेते है।
आधुनिक होली
आज की आधुनिक होली में संस्कारों की हीनता नजर आ रही है। लोग होली में रसायनिक रंगो और अश्लील गानों का प्रयोग कर रहे हैं। जो होली जैसे पवित्र पर्व को अपवित्र कर रहा है। लोग हमारी संस्कृति को खोते जा रहे है। आज होली सिर्फ परम्परा रह गई है।
होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा में मनाया जाता है।
वसंत ऋतु के आगमन में और बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत की खुशी में होली मनाई जाती है।
दोस्तो , आशा करता हूं “Mera priya tyohar ” निबंध आपको पसंद आएगा। अगर आपको इस लेख से जुड़ी कोई जिज्ञासा या सुझाव है तो आप हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं।