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दोस्तों आज हमलोग हिंदी व्याकरण के समास (samas kise kahate hain) के बारे में पढ़ेंगे ! जो अकसर एग्जाम में पूछे जाते है ! समास किसे कहते है समास कितने प्रकार के होते है उदाहरण इत्यादि ! samas kise kahate hain
समास किसे कहते है ? (samas kise kahate hain)
दो या दो से अधिक शब्दों का अपने विभक्ति – चिन्हो अथवा अन्य प्रत्ययों को छोड़कर , बनने वाले शब्द को ” समास ” कहते है !
अर्थात् दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनने वाले शब्द को समास कहते हैं । समास का शाब्दिक का अर्थ है _ संछेप ।
समास के पूर्व पदों के रूप को समास विग्रह कहते हैं और समाज होने के बाद बने संक्षिप्त रूप को सामासिक पद या समस्त पद कहते हैं। samas kise kahate hain
सामासिक पद के प्रथम पद को पूर्व पद और अंतिम पद को उत्तर पद कहते है।
समास मुख्य छः प्रकार के होते है।(samas ke bhed in hindi)
• अव्ययीभाव समास
• तत्पुरुष समास
• बहुव्रीहि समास
• द्वंद समास
• कर्मधारय समास
• द्विगु समास
अव्ययीभाव समास
वह समास जिसका प्रथम पद अव्यय हो ,अव्ययीभाव समास कहते है। अव्ययीभाव समास का पहला पद प्रधान होता है। और समस्त पद में क्रिया विशेषण का काम करता है।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण
• निर्जन = जनो का अभाव
• अनुरूप = रूप के योग्य
• यथासमय = समय के अनुकूल
• प्रतिदिन = दिन दिन
• यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
अव्ययीभाव समास के पहचान
• सामासिक पद या समस्त पद के आरंभ में भर , निर , प्रति , यथा, बे, आ , अधि , अनू, यावत , ब , उप आदि शब्द हो। जैसे_
यथाशक्ति , अनुरूप , प्रत्येक , उपकुल
• सामासिक पद या समस्त पद वाक्य में क्रियाविशेषण का काम करें। जैसे_
मनभर झूलना। , पेटभर खाना

तत्पुरुष समास
वह समाज जिसका उत्तर पद या अंतिम पद प्रधान हो अर्थात वह समाज जिसका उत्तर पद प्रधान हो और प्रथम पद गौन हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
तत्पुरुष समास छः प्रकार के होते हैं।(samas ke bhed in hindi)
• कर्म तत्पुरुष
• करण तत्पुरुष
• संप्रदान तत्पुरुष
• संबंध तत्पुरुष
• अपादान तत्पुरुष
• अधिकरण तत्पुरुष
कर्म तत्पुरुष
इसमे पद के साथ कर्म कारक के चिन्ह ” को “लगे रहते हैं।
जैसे_
गृहागत = गृह को आगत
ग्रंथकार = ग्रंथ को लिखने वाला
ग्रामगत = ग्राम को गया हुआ
करण तत्पुरुष
जिसके पहले पद के साथ करण कारक या (से /द्वारा ) की विभक्ति हो। जैसे_
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत
प्रेमातुर = प्रेम से आतुर
संप्रदान कारक
जिसके प्रथम पद के साथ संप्रदान कारक के चिन्ह (को/के लिए) का बोध हो। जैसे_
विद्यालय = विद्या के लिए आलय
देशार्पण = देश के लिए अर्पण
जेबखर्च = जेब के लिए खर्च
संबंध तत्पुरुष
जिसके प्रथम पद के साथ संबंध कारक के चिन्ह (का/के/की) लगे हो। जैसे_
राजकुमार = राजा का कुमार
राजसभा = राजा की सभा
गंगाजल = गंगा का जल
अपादान तत्पुरुष
जिसका प्रथम पद अपादान के चिन्ह से (से) युक्त हो। जैसे_
पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
देशनीकाल = देश से निकाला
अधिकरण तत्पुरुष
जिसके पहले पद के साथ अधिकरण के चिन्ह ( में /पर) लगी हो। जैसे_
आपबीती = आप पर बीती
कलाप्रवीण = कला मे प्रवीण
बहुव्रीहि समास
जिस पद में कोई पद प्रधान ना होकर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
• बहुव्रीहि समास में दो से ज्यादा पद भी होते हैं।
• इसका विग्रह वाक्य आत्मक होता है।
उदाहरण _
उदारमनस = उदार है मन जिसका वह
सपरिवार = को परिवार के साथ है, वह
सबल = जो बल के साथ है, वह
चंद्रशेखर = चन्द्र है शेखर पर जिसके वह
पीताम्बर = पीत है अम्बर जिसका वह
कलहप्रिय = कलह है प्रिय जिसको वह
द्वंद समास
जिस समास में दोनों पद समानता प्रधान होते हैं इसमें समुच्चयबोधक अव्यय का लोप होता है।
द्वंद समास तीन प्रकार के होते हैं। (samas ke bhed in hindi)
• इतरेतर द्वंद
इस कोटी के समास में समुच्चयबोधक अव्यय ” और ” का लो हो जाता है। जैसे_
दिन रात , गाय बैल , नाक कान आदि
• वैकल्पिक द्वंद
इस समाज में विकल्प सूचक समुच्चयबोधक अव्यय ” वा, या , अथवा ” का प्रयोग होता है। जैसे_
धर्माधर्म = धर्म या अधर्म
छोटा बड़ा = छोटा या बड़ा
• समाहार द्वंद
इस कोटी के समास में प्रयुक्त पदों के अर्थ के अतिरिक्त उसी प्रकार का और भी अर्थ सुजीत होता है। जैसे_
दाल ,रोटी वगेरह = दाल रोटी
कर्मधारय समास
वह समाज जिसके दोनों पद समान हो तथा दोनों पदों में विशेषण और विशेष्य या उपमान और उपमेय का मेल हो , उसे कर्मधारय समास या समानाधिकरण तत्पुरुष कहते हैं।
जैसे_
• महापुरुष = महान , पुरुष
• श्यामसुंदर = श्याम जो सुन्दर है।
• नरसिंह। = सिंह के समान नर
• चंद्रमुख = चंद्र के समान मुख
• भला बुरा = भला और बुरा
द्विगु समास
जिस समास का पहला पद संख्यावाची और दूसरा पद संज्ञान होता है उसे द्विगु समास कहते हैं।
जैसे_
चौबीस = चार और बीस
पंचप्रमाण = पांच प्रमाण
चौराहा = चार रहो का समाहार
तिमाही = तीन माहों का समाहार
तीकोन = तीन कोनो का समाहार
दुपहर = दूसरा पहर
नवग्रह = नौ ग्रहों का समाहार