Vartani kya hai in hindi | vartani ke niyam

दोस्तो इस लेख में हमलोग जानेंगे , वर्तनी क्या (Vartani kya hai) है। और इसके क्या नियम है। अगर आप वर्तनी के बारे में पढ़ना चाहते है। तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।

वर्तनी क्या है (Vartani kya hai)

जिस शब्द में जितने वर्ण या अक्षर जिस अनुक्रम में प्रयुक्त होते है। उन्हें उसी क्रम में लिखना या उच्चारण करना ही वर्तनी कहलाता है।

वर्तनी के नियम

1. परसर्ग / कारक चिन्ह का प्रयोग

परसर्ग, संज्ञा से अलग लिखा जाता है, सर्वनाम के साथ जुड़ा रहता है। किन्तु लगातार दो परसर्ग रहे तो पहला सर्वनाम से जुड़ा रहेगा और दूसरा उससे अलग।

मै ने गलती नही की थी।
मैंने गलती नहीं की थी।

2. हलन्त का प्रयोग

मान‌् /वान‌् /हान‌् प्रत्ययान्त शब्दो में हलन्त का प्रयोग अवश्य होना चाहिए। जैसे_
श्री मान‌् ,आयुष्मान‌् , महान‌्
त‌्/अम‌्/उत‌् प्रत्ययान्त तत्सम शब्दों में हलन्त का प्रयोग किया जाता है। जैसे_
विद‌्या , शुद्ध

3. योजक चिन्ह का प्रयोग

द्वंद्व समास के समस्त पदो और सहचर पदो के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे_ माता – पिता

यदि दो पदो के बीच किसी कारक चिन्ह की उपस्थिति का पता चले तो दोनो के बीच जैसे_ पेड़ – पौधे

यदि पूर्ण द्विरुक्त के बीच परसर्ग/ नीपात रहे तो उस परसर्ग के दोनो और योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाएगा। जैसे_
पानी ही पानी

तुलना के लिए सा/से/सी/जैसे/जैसी के पहले । जैसे_
चांद सा चेहरा , सूरज सा चमक

Vartani in hindi
Vartani kya hai in hindi

4. रेफ चिन्ह का प्रयोग

रेफ़ “र् ” का ही रूप है। जिस वर्ण के बाद “र् ” का झटके से उच्चारण हो, ठीक उस वर्ण के बदले वर्ण पर “र् ” का प्रयोग किया जाता है। जैसे_
गर्म , मर्म , वर्ष‌ , शर्म

5. वाला / वाली / वाले/ कर आदि प्रत्ययो का प्रयोग

वाला/ वाली/वाले का प्रयोग विशेषण बनाने के लिए और कर का प्रयोग पूर्व कालीन क्रिया या क्रिया विशेषण बनाने के लिए होता है। जैसे_
दूधवाला , चायवाला , सोकर ,बैठकर

6. ” कि ” का प्रयोग दो शब्दो को जोड़ने के लिए , दो पदो के बीच संबंध दर्शाने और ” करना ” क्रिया के भूतकालिक रूप में प्रयोग किया जाता है। जैसे_
मोहन की गाय
बेलों की कथा
महाराणा प्रताप ने लड़ाई नहीं की ।

7. ढ एवम ढ़ का प्रयोग

” ढ़ ” का प्रयोग किसी शब्द के मध्य या अन्त भाग में किया जाता है। जबकि ” ढ ” का प्रयोग शब्द के शुरू में किया जाता है। जैसे_
गढ़ना , पढ़ना , ढलना आदि।

8. ” श ” , ” ष ” और ” स ” का प्रयोग

• यदि अ/आ से भिन्न स्वर रहे तो ” ष ” का प्रयोग किया जाता है जैसे_ विषम, आकर्षित, धनुष, पुरुष, आभूषण
• ” ट ” वर्ग के पहले ” ष ” का प्रयोग होता है जैसे_
विशिष्ट ,सिस्ट ,कष्ट, भ्रष्ट ,नष्ट

• ऋ के बाद ” ष ” का प्रयोग होता है
जैसे_ कृषि ,वृष्टि ,ऋषि

• आगे ” च ” वर्ग रहने पर ” श ” का प्रयोग होता है।
जैसे_ निश्छल

• ” श ” और ” ष ” दोनो का एक साथ प्रयोग हो तो पहले ” श ” का फिर ” ष ” का प्रयोग होता है। जैसे_
विशेष , शोषण , शीर्षक , विशेषण

• आगे ” त ” वर्ग रहने पर ” स ” का प्रयोग होता है। जैसे_
विस्तार , निस्तार

9. अनुस्वार और चन्द्रबिन्दु का प्रयोग

शिरोरेखा से ऊपर जाने वाली मात्राओं के ऊपर सामान्यतः अनुस्वार तथा नीचे लिखी गई जाने वाली मात्राओं के ऊपर चंद्रबिंदु का प्रयोग होता है जैसे _
मैं , उन्हें , कहां ,

10. “इ ” और ” ई ” का प्रयोग

किसी स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द के अंत में ” ई ” रहने पर उसके बहुवचन रूप बनाने में ” ई ” की जगह “इ ” की मात्रा का प्रयोग होता है जैसे_
नदी = नादिया
गाड़ी = गाडियां

11. ” उ” और ” ऊ” का प्रयोग

ऊकारान्त स्त्रीलिंग सैया के बहुवचन रूप बनाने में “ऊ ” कि जगह ” उ ” की मात्रा लगाई जाती है जैसे_
वधू = वधूए
बहू = बहूएं